नाना जी की अंतिम बिदाई

मेरे नाना जी श्री रामेश्वर साव का आज दिनांक 21/06/2024 को 11:15 AM में निधन हो गया Heart Attck आने के कारण।

आज इस article में हमलोग मेरे नाना जी रामेश्वर साव के जीवन के बारे में कुछ जानेंगे। इनका जीवन बहुत संघर्ष भरा रहा है। मेरे नाना जी के समय पर दो टाइम का खाना भी नसीब नहीं होता था बहुत ही गरीबी थी और पैसे तो बिल्कुल नहीं थे जिसके कारण कभी तो पूरा फैमिली भरपेट खाना खाता नहीं तो कभी दो दिन तक भूखा रहना पड़ता। फिर मेरे नाना जी कोलवारी में काम करने लगे और धीरे-धीरे उनका जॉब सीसीएल में हो गया जिससे मेरे नाना जी के जीवन में थोड़ा सुधार आया लेकिन जब इनका जॉइनिंग हुआ था उसे टाइम बहुत ही कम पेमेंट मिलता था और प्राइवेट में बहुत ज्यादा पेमेंट मिलता था लेकिन मेरे नाना जी ने सीसीएल में ही काम की और प्राइवेट की ओर नहीं गए जिनके कारण बाद में उन्हें एक अच्छी सैलरी मिलने लगी और फैमिली को पालन पोषण में दिक्कत कम होने लगी।

इन्हें कुछ चीज बहुत पसंद थी जैसे की फिल्में देखना और नाना जी फिल्में देखने के लिए 10 , 15 किलोमीटर साइकिल चलाकर थिएटर में देखने जाते थे उसे टाइम सिर्फ एक ही थिएटर हुआ करता था जो की काफी दूर था और मेरे नाना जी फिल्में देखने में बहुत ही आगे थे इसीलिए कैसे भी करके टिकट के पैसे जुगाड़ करते और फिल्म देखने निकल जाते ।

वैसे तो मेरी सारे भाई बहनों का पढ़ाई मेरे नाना जी ने ही करवाया है और 2011 में मैन अपने नाना जी के जीवन में आता हूं अपने 11th के पढ़ाई के लिए और उसे समय से मैं अपने नाना जी के साथ ही रहना शुरू कर देता हूं और मेरे पढ़ाई लिखाई का सारा खर्च मेरे नाना जी उठाते हैं। 2011 में हम लोग सारे फैमिली करकेट सीट के मकान में रहते थे जो गर्मी के दिनों में ज्यादा ही गर्म और ठंडा के दिनों में ज्यादा ही ठंडा हो जाता था तो मेरे नाना जी जब ड्यूटी करके घर आते तो उनका दो ही मनपसंद काम होता पहला या तो खाना खाने के बाद वो फिल्म देखते टीवी में या दूसरा वह कॉलेज जाते। कॉलेज का नाम सुनकर आप लोग उलझिये मत  क्योंकि उनका जो कॉलेज था वह अपने उम्र के दोस्तों के साथ ताश खेलने था तो यह दो ही तरीके थे जहां पर वह अपना समय बिताते थे या तो फिल्म देखते या तो कॉलेज जाते जो की ताश खेलने था।

गर्मी के दिनों में सोने में दिक्कत होती तो हम लोग दोनों नाना नाती पलंग के नीचे सोते क्योंकि वहां पर थोड़ा सा काम गर्मी लगता है वैसे तो पलंग होता है सोने के लिए लेकिन हम लोग उसका इस्तेमाल गर्मी से बचने के लिए करते थे और हम लोग पलंग के नीचे सोते थे गर्मी के दिनों में। और धीरे-धीरे मेरे और मेरे नाना की दोस्ती गहरी होती जाती है और धीरे-धीरे वह अपना मन का सारा बात मुझे बताना शुरू कर देते हैं जो भी चीज उनको अच्छा लगता है या बुरा लगता । वो एक दोस्त की तरह मुझे बताया करते  और यह रिश्ता धीरे-धीरे और भी गहरा हो गया ।

वैसे तो मेरे फैमिली में कुछ और लोग है जिनसे मेरे नाना अपना सारा बात बताते थे लेकिन मेरे साथ वो बातें शेयर करते जो वह किसी के साथ नहीं करते थे मतलब ऐसी बातें जो वह सिर्फ मेरे साथ शेयर करते थे जो उन्हें अच्छा लगता या अच्छा नहीं लगता। तो 2014 में मेरे नाना का रिटायरमेंट होता है और उनके रिटायरमेंट के एक दिन पहले मेरी प्रनानी आनी की मेरे नाना की सास की मृत्यु हो जाती है और वह भी हम लोग के लिए एक बड़ा खराब दिन होता है फिर मेरे नाना का रिटायरमेंट जैसे हो जाता है उसके बाद वह गांव में रहना शुरू कर देते हैं और उनका रिटायरमेंट जैसे कि मुझे भी फैमिली से रिटायरमेंट मिल गया हो मेरे नाना गांव में रहना शुरू कर देते हैं मेरे मामी सब मेरे मामा के पास चले जाते हैं और मैं बिना परिवार के हो जाता हूं और तभी से मेरी किस्मत थोड़ी बहुत खराब हो जाती है मतलब कि मैं पढ़ाई में थोड़ा कमजोर होने लगता हूं क्योंकि मुझे ना कोई डाटने वाला होता है ना कोई दबाने वाला।

वैसे तो मेरे नाना जी को दवाई खाने से सख्त नफरत थी अगर कभी उन्हें बुखार होता और डॉक्टर दवाई देता  तो बच्चे की तरह डरते थे और इतना डरते थे की डर के मारे दवाई नहीं खाते थे और उनका बुखार भी उतर जाता  तो दवाई खाने के मामले में मेरे नाना बहुत ही डरपोक थे मतलब हमलोग को इतना बार पूछते की कुछ होगा तो नहीं ना दवाई खाने से और हम लोग को भी परेशान कर देते । हम लोग बहुत बार समझाते फिर भी दवाई खाने का नाम नहीं लेते और बहाना बनाकर दवाई नहीं खाते लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया कि उनको दवाई के बल पर ही अपनी जीवन गुजारनी शुरू करना पड़ा क्योंकि नाना की बार बार बेहोश होने लगे जिसके लिए इन्हें पेसमेकर लगना पड़ा और इन्हें डॉक्टर के द्वारा जिंदगी भर दवाई खाने का सलाह दिया गया और उसे टाइम भी यह बहुत डरते थे हर बार हम लोग को पूछते थे कुछ होगा नहीं ना दवाई खाने से लेकिन अब उनके पास कोई उपाय नहीं था तो उन्हें दवाई खाने का आदत डालना पड़ा लेकिन जब कभी भी डॉक्टर दवाई का बदलता और हम लोग दूसरा दवाई लाते तो जब यह देखते की दवाई के पैकेट का रंग अलग है पिछले दवाई से तो यह बार-बार पूछते हैं यह दूसरा दवाई हम नहीं कहेंगे कुछ हो जाएगा हमको और बहुत डरते लेकिन फिर हम लोग इन्हें समझाते और दवाई खिलाते ।

ऐसे ही चला रहा। जैसा कि मैं आपको पहले बताया कि मेरे नाना जी को फिल्में देखना बहुत पसंद था और एक छोटा सा कलर टीवी था जिसमें यह देखते थे लेकिन इनको अच्छा नहीं लगता था देखने में क्योंकि जहां हम लोग रहते थे वहां पर LED TV था और इनको उसी में देखने में अच्छा लगता था इसलिए इन्हें छोटा वाला टीवी पसंद था लेकिन अब तो यह रिटायर हो चुके थे और पेंशन भी उतना नहीं था की एक नया टीवी ले पाते और परिवार में भी किसी को नहीं बोलते क्युकी जानते थे LED TV लेने में बहुत पैसा लगेगा इसीलिए मन ना रहते पर भी वही टीवी देखते लेकिन जैसा कि मैं आपको पहले बताया है कि नाना जी मुझे अपनी हर एक बात बताया करते हैं चाहे इनको अपने शरीर में कोई दिकत हो या कोई इनका इच्छा हो जो पूरा ना हो रहा हो तो मेरे नाना जी ने एक-दो साल पहले मुझसे बाया कि मुझे यह टीवी देखने में अच्छा नहीं लगता है ।

फिर मैंने एक प्लान बनाया और हम लोग जितने नाती पोता पोता पोती थे सब लोगों ने  1000 2000 करके जमा किया और उनके लिए एक एंड्रॉयड एलइडी टीवी खरीदा और फिर एक गिफ्ट की तरह हम लोगों ने टीवी लाकर इनके लिए सेट कर दिया और डीटीएच वगैरह सारा चीज लाकर सेट कर दिया और जब उन्होंने टीवी देख तो उन्हें बहुत खुशी हुई लेकिन उन्हें भी पता था कि इसमें बहुत पैसा खर्च हुआ होगा इसीलिए उन्होंने कहा की क्यों लिया टीवी तुम लोग फालतू में पैसा खर्च कर दिया मेरा तो उसी में काम चल रहा था। तो मैंने कहा यह आपके लिए है हम सब नाती पोता पोता पोती की तरफ से । आपने हम लोगों के लिए बहुत कुछ किया है तो आप हमारी परी है कि हम लोग आपके लिए भी कुछ करें।

मैं जब भी नाना घर जाता तो मैं सबसे पहले टीवी चेक करता की टीवी चल रहा है या नहीं क्योंकि मुझे पता रहता था कि टीवी नहीं चल रहा होगा तो इनका मन नहीं लगेगा और गांव में कोई ऐसा रहता नहीं था की टीवी बना दे तो मैं जब भी जाता तो सबसे पहले टीवी चेक करता और कोई समस्या होती टीवी में तो उसको ठीक करता ताकि इनका मन लग रहे।

मेरे नाना जी को भगवत गीता पढ़ने का बड़ा शौक था यहतक की वो जहां जाते वह इसको पढ़ सके उसके लिए इन्होंने भगवत गीता को एक कॉपी में लिख लिया था और कहा  भी जाते उसको साथ लेकर जाते और जब मन करता जहां टीवी देखने का ऑप्शन नहीं रहता वहां पर वो भागवत गीता पढ़ते और नाना जी को प्रतकाल में पूजा करने का भी आदत हो गया था तो नाना की प्रतिदिन पूजा करते ।

नाना जी की जीवन से सीखने को मिला की मां-बाप को कोई चीज कितना भी पसंद क्यों ना हो लेकिन वो पहले बच्चे की खुशी को पूरा करना चाहेंगे भले उन्हें अपना इच्छा क्यों ना मारना पड़े और मेरे नाना जी अपने परिवार के लिए अपनी इच्छाओं को मारदेते क्योंकि जितना भी पैसा कमाते वो सारा परिवार में खर्च हो जाता है और उनकी खुद के लिए नहीं बचता तो इसीलिए कुछ चीज जो इन्हें पसंद होती वह मुझे बताया करते थे वह यह सोचकर नहीं बताते थे कि मुझे बताने से पूरा हो जाएगा लेकिन हर किसी के लाइफ में कोई ऐसा होता है जिससे कोई अपना हर एक चीज शेयर कर पता है तो शायद मैं उनके जीवन में वही इंसान था।

जैसा कि मैंने पहले बताया कि उन्हें दवाई खाने से बड़ा डर लगता था और जब भी डॉक्टर कोई दवाई चेंज करता था तो उनको भरोसा नहीं होता था उसे समय ज्यादातर वह मेरा बात सुनते थे मैं उनको समझाता था कि कुछ नहीं होगा । बहुत बार समझाने पर वह मेरा बात मान जाते थे और उन्हें शरीर में कोई भी दिकत होता तो वह मुझे बताते जब मैं उनके सामने रहता तो कभी-कभी मैं उनसे झूठ भी बोलता ताकि वह घबराएं ना मैं उन्हें बताता था कि ऐसा मौसम के कारण भी होता है तो डरिए मत।

नाना जी के साथ दोस्ती तो बहुत अच्छी रही लेकिन उन्होंने इस दोस्ती को आज 21 जून 2024 को तोड़ दिया और मुझे और मेरी पूरी परिवार को अकेले छोड़कर खुद भगवान के पास चले गए जिसका हमें बहुत ही दुःख है ।

उन्हें मेरा शादी देखना थी मेरी बहन के शादी देखनी थी और वह चाहते थे कि हम लोग का नौकरी लग जाए लेकिन किस्मत खराब होने के कारण नौकरी तो नहीं लग पाई और हमलोग का शादी देखे बिना वह चले गए।

19 जून 2024 को उन्हें हल्का सा बुखार जैसा महसूस हुआ और उन्हें ठंडी लगने लगी जब उन्होंने यह बात घरवालों को बताया तो सब थोड़ा डर गए और सब ने तुरंत गाड़ी का प्रबंध करके उन्हें रांची लेगए । रांची जाने के बाद वह बिल्कुल ठीक महसूस कर रहे थे लेकिन हम लोगों ने सोचा की आए हैं तो डॉक्टर को दिखा लेंगे और उसके लिए बीएसएफ के डॉक्टर से हम लोग रेफर करवाने के लिए गए और इस बीच नाना जी को हार्ट अटैक आया और फिर तुरंत एंबुलेंस में इन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और वो हमें छोड़कर जा चुके थे।

अब इस पोस्ट में मैं उनकी अंतिम विदाई की कुछ तस्वीर लगा रहा हूं। आप लोग से आशा करता हूं कि उनकी आत्मा की शांति के लिए आप लोग प्राथना करेंगे।

नाना की का अंतिम अस्नान
नाना जी के चरण की आखरी छाया जो अब हमारे सर से हट गया

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